मधेश आन्दोलन की भावी कार्य दिशा, आर या पार की लड़ाई : राजेन्द्र महतो
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काठमान्डौ, २८ फरवरी
सदेभावना पार्टी के संयोजकत्व में मधेश आन्दोलन की भावी कार्य-दिशा विषयक अन्तरक्रिया कार्यक्रम आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता सद्भावना अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने की । कार्यक्रम में सद्भावना के लक्ष्मण लाल कर्ण, शैल महतो, मनीष सुमन और अलग अलग क्षेत्रों से सम्बद्ध बुद्धिजीवियों की उपस्थिति थी ।
सदेभावना पार्टी के संयोजकत्व में मधेश आन्दोलन की भावी कार्य-दिशा विषयक अन्तरक्रिया कार्यक्रम आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता सद्भावना अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने की । कार्यक्रम में सद्भावना के लक्ष्मण लाल कर्ण, शैल महतो, मनीष सुमन और अलग अलग क्षेत्रों से सम्बद्ध बुद्धिजीवियों की उपस्थिति थी ।
अध्यक्ष महतो ने स्पष्ट तौर पर कहा कि आन्दोलन अभी जारी है । आर या पार की लड़ाई के लिए निर्णायक जरुरी है । जिसके लिए एक सही और निर्णायक रणनीति की आवश्यकता है । इस आन्दोलन को अब उस अंतिम धकके की जररत है जो इसे निष्कर्ष तक पहुँचा सके । उन्होंने कहा कि नाकाबन्दी तो पहले ही कमजोर हो चुका था । मधेश की जनता थक गई थी इसलिए भी इसे रोका गया ताकि हम नए सिरे से शक्ति संचय कर सके और एक नए जोश और नीति के तहत सामने आ सके ।
कार्यक्रम को विश्लेषक सी.के.लाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले विगत और आज के आन्दोलन की समीक्षा करनी होगी । पहले के हुए आन्दोलन क्यों सफल हुए और आज मधेश आन्दोलन क्यों असफल हुआ ? उन्होंने कहा कि नाकाबन्दी करना सही नहीं था इसका उपयोग सही समय पर नहीं किया गया । उन्होंने कहा कि इस आन्दोलन से एक अच्छी बात जो हुई वो यह कि मधेश का अस्तित्व विश्व के सामने आया और मधेश आन्दोलन को विश्वस्तरीय स्थान मिला । उन्होंने सलाह दी की अब मधेशी मोर्चा को पूरे देश में क्षमा अभियान चलाना चाहिए उसके बाद नए सिरे से आन्दोलन की शुरुआत करनी चाहिए ।
इसी तरह हिमालिनी की संपादक डा.श्वेता दीप्ति ने कहा कि नाकाबन्दी परिस्थिति की माँग थी क्योंकि जिस तरह आम जनता राज्य के हिंसा और दमन का शिकार हो रही थी अगर वो नका पर नहीं बैठती तो मृतकों की संख्या अब तक ना जाने कितनी अधिक होती । उन्होंने यह भी कहा कि नीति नेता तय करते हैं जनता उनके पीछे चलती है । इसलिए आज मधेश की जनता एकता चाह रही है और नेताओं को भी इस बात का खयाल कर के रणनीति बनानी चाहिए जिससे नेताओं के अनुभव और युवाओं के जोश का सही उपयोग हो सके ।
इसी तरह व्यवसायी वर्ग से महेश अग्रवाल ने कहा कि इस आन्दोलन में व्यवसायियों का भी पूरा सहयोग मिला है और अब वो भी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते हैं । नेता सिर्फ बोलते है. अब कार्यान्वयन की आवश्यकता है । अधिवक्ता सुनीलरंजन सिहं ने कहा कि आन्दोलन में जबतक समन्वय नहीं होगा आगे चलना मुश्किल है इसलिए मोर्चा के सभी घटकों को एक साथ एक नीति को लेकर आगे बढना चाहिए । निष्कर्षतः यही कहा जा सकता है कि आन्दोलन के लिए महागठबन्धन की सबसे बड़ी आवश्यकता है तभी मधेश को उसका अधिकार मिल सकता है । source:Himalini