विदेश सचिवों की बैठक के लिए सुषमा स्वराज पोखरा पहुंची, सरताज अजीज से होगी बात
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पोखरा। नेपाल में विदेश सचिव स्तर की वार्ता में में हिस्सा लेने के लिए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पोखरा पहुंच गई हैं। यहां वो पाकिस्तान के विदेश सचिव सरताज अजीज से बातचीत करेंगी। इस मामले पर सरताज अजीज ने कहा है कि भारत से बेहतर बातचीत होने की उम्मीद है।
तीन माह के अंतराल के बाद दोनों पक्षों के नेता एवं अधिकारी औपचारिक संपर्क एवं संवाद के लिये एक दूसरे से रूबरू होंगे। लेकिन पठानकोट हमले के बाद के हालात में दोनों पक्षों के बीच संपर्क और संवाद को औपचारिकता से दूर रखे जाने और ठोस परिणाम मूलक बनाने पर ध्यान केन्द्रित होगा।
सुरक्षित पड़ोसी दक्षेस देशों की जरूरत
शांतिपूर्ण और सुरक्षित पड़ोसी दक्षेस देशों की जरूरत हैं। इससे ही समूह के देशों को फायदा पहुंचेगा। 42वीं दक्षेस स्थायी समिति की बैठक में बुधवार को विदेश सचिव एस जयशंकर ने भारत का नजरिया पेश करते हुए यह बात कही। उन्होंने क्षेत्र में यात्रियों और माल की निर्बाध आवाजाही बढ़ाने और पूर्व में लिए गए कई फैसलों की समीक्षा पर भी जोर दिया।
जयशंकर ने कहा कि भारत 'पड़ोसी पहले' की नीति को आगे बढ़ा रहा है। हमारा दृढ़ता से मानना है कि शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध पड़ोस हम सभी के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। उन्होंने कहा कि दक्षेस की प्राथमिकताओं और प्रक्रियाओं को भी अधिक तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। इसके लिए हमें अतीत में लिए गए फैसलों और कोशिशों का जायजा लेना होगा। इनमें से कुछ ऐसे फैसले हैं जिनमें सालों से कोई गतिविधि नहीं देखी गई है।
विदेश सचिव ने कहा कि दक्षिण एशिया के सभी देशों की समृद्धि और विकास के लिए संपर्क बढ़ाना होगा। यह दक्षिण एशिया के सभी देशों की नियति को आकार देगा। इसके लिए उन्होंने जल्द से जल्द दक्षेस मोटर वाहन समझौता और दक्षेस रेल समझौता पर सदस्य देशों से आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि इन समझौतों को अंतिम रूप देने और लागू करने के बाद समूचे क्षेत्र में यात्रियों और माल की निर्बाध आवाजाही के पुराने सपने को साकार करने में हम कामयाब रहेंगे।
जयशंकर का यह बयान दक्षेस मंत्रीस्तरीय बैठक से एक दिन पहले आया है। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद, मादक पदार्थ और मानव तस्करी से निपटने के लिए उन्होंने कहा कि दक्षेस देशों के बीच हुए कुछ उपयोगी समझौतों का भी जिक्र किया। साथ ही क्षेत्र में जाली नोटों का प्रसार को एक बड़ी चुनौती करार दिया।

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