ओली के कारण ही मधेश अलग देश में परिणत होगा : मुरलीमनोहर तिवारी
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मुरलीमनोहर तिवारी (सिपु) , बीरगंज, २४ जनवरी |
रंगेली में जो हुआ, वह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। पांच महीने के आंदोलन में जब- जब सहमती के आसार नज़र आते है, सरकार दमन करके माहौल ख़राब कर देती है। रंगेली घटना से पहले राजेंद्र महतो पर हमला, जनकपुर, बिरगंज, गौर, चंद्रनिगाहपुर, सर्लाही सभा में गोली कांड, टीकापुर कांड, ये सब उसी समय हुए जब सब ठीक हो रहा था।
रंगेली घटना के बाद मधेश में और ज्यादा आक्रोश दिखा, बिरगंज में अलग देश का पर्चा लेने के लिए मारामारी की नौबत आ गई, वही दूसरी तरफ एमाले के कार्यकर्त्ता चोक- चौराहे पर चटखारे ले-लेकर आंदोलनकारी को डराते- धमकाते दिखे। ये सारी घटनाएं जले पर नमक छिड़कने जैसा है। मधेशी जनमानस में कुंठा बढ़ते जा रहा है। आंदोलनकारी निरीह-निराश दिख रहे है तो मोर्चा बिज्ञप्ति से खानापूर्ति कर रहा है।
मोर्चा के चाल और आंदोलन के ताल में ब्यापक अंतर्विरोध दिख रहा है। समझ नहीं आता की ये आंदोलन है या खिलवाड़। जब दम नहीं है तो दम्भ नहीं करके एकता करना चाहिए था, वो तो हुआ नहीं, अब पीटने पर हायतौबा मचाने से क्या होगा ? बुजदिल, दब्बु समाज का यही हाल होता है। जो कौम अपने अधिकार के लिए लड़ नहीं सकता उसे अधिकार भोगने का भी अवसर नहीं मिलता। अगर सब एक साथ मिलकर नहीं लड़ेंगे तो सबका एक साथ मिट जाना तय है।
आंदोलन बिनती पत्र चढाने से नहीं संघर्ष करने से सफल होता है। मोर्चा कभी भारत, तो कभी दुनिया को गुहार करते रह जाएगा, महान देश की कृपादृष्टि से कुछ बख्शिश तो मिल सकता है, पर सम्मानजनक अधिकार कदापि नहीं मिलेगा। हमेशा भारत सरकार सिर्फ सोचती ही रह जाती है, एक इंदिरा सरकार के अपवाद छोड़कर, भारत सरकार कुछ भी करने में किन्तु-परंतु के बहाने डरती रहती है। जबकि वही चीन हरेक हालत के लिए तैयार रहता है। भारत की इसी चिंतामणि ब्यवहार के कारण तिब्ब्त की तरह नेपाल भी हाथ से फिसल रहा है।
नेपाल सरकार ने पहले दमन किया। निर्दोष नागरिको की बेरहम हत्याए की। पुरे नेपाल की जनता पीड़ित और दुखी है, समस्या सुलझाने के बजाय उसमें जल-मल दिया। ख़ुद तस्करी कराकर, भूकम्प के चंदे पर ऐश किया। मधेश की जनापेक्षा पूरा करने के जगह आंदोलन समाप्त करने के साजिश में लगे है। अब तो खबर आ रही है की सरकार, मधेश में कानून ब्यवस्था की समस्या के बहाने, प्रमुख कार्यकर्त्ता की हत्या कारकर आपराधिक घटना दिखाना चाहती है। इससे मधेश और ज्यादा अशांत और भयवाह होने वाला है।
ओली ने कहा उन्हें देश तोड़ने का दबाव मिल रहा है। धन्य है, केपी ओली ! ओली महान समाज सुधारक है, विचारक है, सच्चे क्रन्तिकारी है, चे-ग्वेरा के दूसरे अवतार है ? एकमात्र ओली के कारण ही आंदोलन जिन्दा है। जब भी आंदोलन शिथिल होता है, ओली की बोली की आग उसे पुनर्जीवित करती है। मधेश सदैव ओली का ऋणी रहेगा। मधेश के आशा के किरण ओली जरूर मधेश को अलग देश में परिणत करेंगे। वे अवश्य दोनों देश (नेपाल देश- मधेश देश) के राष्ट्रपिता बनेंगे। दोनों देश के नोटों पर इनकी फ़ोटो होगी। दोनों देश बुद्ध को नहीं ओली को अपना बताने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। दोनों देश में इनकी जयजयकार होगी। ओली आपकी सदा ही जय हो। -हिमालिनी 