ऐसे हुई थी एक्ट्रेस दिव्या भारती की मौत, खुल गया उस रात का राज़
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90 के दशक में द्विया भारती ने बहुत कम समय में बड़ी बड़ी हेरोइनों की छूटी कर दी थी. टैलंट के बल पर उन्होंने हिन्दी फिल्म इन्डस्ट्री में एक मुकाम हासिल कर कमाया था। दिव्या भारती बहुत खूबसूरत थी जिसकी बदौलत उन्होंने करोडो दिलो पर राज किया. लेकिन बहुत जल्दी ही उनकी रहस्यमई मौत ने उनके करियर को ख़त्म कर दिया. आज हम आपको दिव्या भारती की मौत के सम्बन्ध में कुछ तथ्यों को आपके बताएंगे जो आप बिलकुल नहीं जानतें होंगे.
5 अप्रैल 1993 दिव्या भारती की ज़िन्दगी की आखिरी रात थी. लोग कहंतें हैं कि दिव्या की मौत मुम्बई के वर्सोवा इलाके में एक पांच मंजिली इमारत से गिरने की वजह से हुई। कुछ लोगों ने मानते हैं कि यह आत्महत्या का मामला था।
जबकि कुछ लोगों को इस मौत में षड्यंत्र नजर आ रहा था। वे इसे निर्मम हत्या का मामला मान रहे थे। मुम्बई पुलिस इस मामले में सबूत जुटाने में कामयाब नहीं रही थी और इस केस की फाईल को 1998 में बन्द कर दिया गया।
इस घटना को षड्यंत्र के तौर पर देखने वाले लोग दिव्या भारती के होने वाले पति साजिद नाडियाडवाला पर अंगुली उठाने लगे थे। साथ ही दिव्या भारती की इस मृत्यु को अंडरवर्ल्ड से भी जोड़ा जा रहा था।
जबकि एक दूसरी थ्योरी के अनुसार दिव्या भारती की साजिद के साथ बढ़ रही नजदीकियों और फिल्मी दुनिया में अप्रत्याशित सफलता ने उसे उसके माता-पिता से दूर कर दिया था। यही वजह है कि उन्होंने तनाव में आकर आत्महत्या कर ली।
जिस रात दिव्या भारती की मृत्यु हुई थी उसी दिन उन्होंने एक फ्लैट खरीदा था। चार बेडरुम वाले इस फ्लैट पर दिव्या भारती अपने भाई के साथ लंबे समय तक गप्प लड़ाती रही थीं। और एक दिन पहले ही वह चेन्नई से एक फिल्म की शूटिंग पूरी कर लौटी थीं। 5 अप्रैल को उनकी फिल्म की शूटिंग हैदराबाद में होनी थी। लेकिन फ्लैट खरीदने की वजह से उन्होंने अपनी शूटिंग कैन्सिल कर दी थी और अगले दिन की तारीख दी थी।
यह भी बताया जाता है कि दिव्या भारती ने अपने पैर में चोट होने की वजह से शूटिंग को मना किया था। दिव्या इस दिन डिजायनर नीता लुल्ला और उनके पति के साथ अपने वर्सोवा वाले फ्लैट पर मुलाकात वाली थीं। वर्सोवा का यह फ्लैट दिव्या के नाम पर पंजीकृत नहीं था।
अपने पति के साथ रात 10 बजे नीता लुल्ला, दिव्या के फ्लैट पर पहुंची थी। मिलने के बाद तीनों ड्राइंग रूम में बैठे थे और लगातार बातचीत कर रहे थे। तभी दिव्या अपने किचन में चली गईंं। इसी बीच, नीता और उसके पति टीवी पर एक विडियो देखने में मशगूल हो गए थे।
5 अप्रैल 1993 दिव्या भारती की ज़िन्दगी की आखिरी रात थी. लोग कहंतें हैं कि दिव्या की मौत मुम्बई के वर्सोवा इलाके में एक पांच मंजिली इमारत से गिरने की वजह से हुई। कुछ लोगों ने मानते हैं कि यह आत्महत्या का मामला था।
जबकि कुछ लोगों को इस मौत में षड्यंत्र नजर आ रहा था। वे इसे निर्मम हत्या का मामला मान रहे थे। मुम्बई पुलिस इस मामले में सबूत जुटाने में कामयाब नहीं रही थी और इस केस की फाईल को 1998 में बन्द कर दिया गया।
इस घटना को षड्यंत्र के तौर पर देखने वाले लोग दिव्या भारती के होने वाले पति साजिद नाडियाडवाला पर अंगुली उठाने लगे थे। साथ ही दिव्या भारती की इस मृत्यु को अंडरवर्ल्ड से भी जोड़ा जा रहा था।
जबकि एक दूसरी थ्योरी के अनुसार दिव्या भारती की साजिद के साथ बढ़ रही नजदीकियों और फिल्मी दुनिया में अप्रत्याशित सफलता ने उसे उसके माता-पिता से दूर कर दिया था। यही वजह है कि उन्होंने तनाव में आकर आत्महत्या कर ली।
जिस रात दिव्या भारती की मृत्यु हुई थी उसी दिन उन्होंने एक फ्लैट खरीदा था। चार बेडरुम वाले इस फ्लैट पर दिव्या भारती अपने भाई के साथ लंबे समय तक गप्प लड़ाती रही थीं। और एक दिन पहले ही वह चेन्नई से एक फिल्म की शूटिंग पूरी कर लौटी थीं। 5 अप्रैल को उनकी फिल्म की शूटिंग हैदराबाद में होनी थी। लेकिन फ्लैट खरीदने की वजह से उन्होंने अपनी शूटिंग कैन्सिल कर दी थी और अगले दिन की तारीख दी थी।
यह भी बताया जाता है कि दिव्या भारती ने अपने पैर में चोट होने की वजह से शूटिंग को मना किया था। दिव्या इस दिन डिजायनर नीता लुल्ला और उनके पति के साथ अपने वर्सोवा वाले फ्लैट पर मुलाकात वाली थीं। वर्सोवा का यह फ्लैट दिव्या के नाम पर पंजीकृत नहीं था।
अपने पति के साथ रात 10 बजे नीता लुल्ला, दिव्या के फ्लैट पर पहुंची थी। मिलने के बाद तीनों ड्राइंग रूम में बैठे थे और लगातार बातचीत कर रहे थे। तभी दिव्या अपने किचन में चली गईंं। इसी बीच, नीता और उसके पति टीवी पर एक विडियो देखने में मशगूल हो गए थे।
कुछ ही समय बाद ऊंचाई से गिरने के बाद दिव्या खून से लथपथ पार्किंग क्षेत्र में पड़ी थीं। उनकी नब्ज चल रही थी और जल्दी ही उसे मुम्बई के कूपर हॉस्पीटल ले जाया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. दिव्या की मौत की पुलिस ने हर एंगल से जांच की लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की वजह से लोग अपने अपने अलग तर्क देते रहे. किसी ने इसे आत्महत्या कहा तो किसी इसमें षडयन्त्र की आशंका जताई.