मधेशी चाह रहे मोदी का दखल
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आनंद राय, बेलहिया [नेपाल]। नेपाल में नए संविधान के विरोध में मधेशियों के आंदोलन का रंग अब ज्यादा चटख होने लगा है। इस आंदोलन से भारत-नेपाल के व्यापारिक और राजनीतिक रिश्तों में खटास का खतरा भी बढ़ गया है। भारतीयों से रोटी-बेटी का रिश्ता रखने वाले मधेशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में सीधा हस्तक्षेप चाहते हैं जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों को अंदेशा है कि मधेशियों को भारत की ओर से हवा मिल रही है। मंगलवार को नेपाल के रपंदेही जिले की बेलहिया चौकी पर यह नजारा साफ देखने को मिला। मधेशियों का एक जत्था जैसे ही धरने पर बैठा, उन पर ईंट-पत्थर चलने लगा। नो मैंस लैंड के इस पार भारतीय सीमा पर मधेशी और नेपाल सीमा पर पहाडिय़ों के बीच करीब बीस मिनट तक जमकर पथराव हुआ। पहाड़ी मूल के नेपाली भारत के विरोध में नारे भी लगा रहे थे जबकि सोनौली की ओर से जवाबी पत्थर फेंकने में कुछ भारतीयों के भी हाथ शामिल थे। अभी कुछ माह पहले नेपाल की भूकंप त्रासदी में भारत सबसे बड़ा मददगार था। तब सर्वाधिक लाभ पहाड़ी इलाकों में रहने वालों ने ही उठाया। पहाड़ी मूल के अमर थापा मानते हैं कि इसका कुप्रभाव पड़ रहा है। लुंबिनी के सांसद कमलेŸवर पुरी कहते हैं कि संविधान संशोधन नहीं हुआ तो हालात और खराब होंगे। पहा़$डी मूल के नेपाली भारत पर इसलिए शक कर रहे हैं क्योंकि मधेशियों का रंग, बोली, भाषा, रहन-सहन और रिवाज भारतीयों से मिलते हैं। इस रंग भेद में पहाड़ और मैदान एक दूसरे के खिलाफ तन गए हैं। मधेशियों को नेपाल के नए संविधान में सात राज्यों के गठन और नागरिकता के लिए बनाए गए नियम-कानून में खोट नजर आ रहा है। इसी के खिलाफ 51 दिनों से उनका आंदोलन निरंतर तेज हो रहा है। नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार युवराज घिमिरे कहते हैं कि यह बहुत जटिल मामला है। मधेशियों की कुछ मांग जायज हैं तो कुछ नाजायज क्योंकि उनकी अगुवाई करने वाले सिर्फ सुविधा की राजनीति कर रहे हैं। मधेशी मोर्चा लड़ेगा लड़ाई नए संविधान के खिलाफ नेपाल के तराई इलाकों में सक्रिय राजनीतिक दलों ने मोर्चा बनाकर युद्ध छेड़ दिया है। संघीय लोकतांत्रिक मधेशी मोर्चा के बैनर तले तराई मधेश लोक तांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष महंथ ठाकुर, उपाध्यक्ष हृदयेश त्रिपाठी, संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, सद्भावना पार्टी के राजेन्द्र महतो और तराई मधेश सद्भावना पार्टी के महेंद्र राय यादव इस लड़ाई की अगुवाई कर रहे हैं। नेपाल के पूर्व मंत्री हृदयेश त्रिपाठी और मोर्चा संयोजक महेंद्र यादव कहते हैं कि मोदी जी को इसमें हस्तक्षेप कर संविधान में परिवर्तन के लिए सीधी पहल करनी चाहिए। सीमा पर आवागमन ठप, महंगाई आंदोलन की चक्की में कारोबारी पिस रहे हैं। दोनों तरफ से आवागमन ठप है। सिर्फ सोनौली बार्डर से प्रतिदिन करीब तीन सौ ट्रक खाद्य सामग्री, डीजल-पेट्रोल और घरेलू गैस आदि लेकर नेपाल जाते थे। हिमाचल प्रदेश से सेबों का ट्रक लेकर चले मुहम्मद नाजिर और शिमला के राजकुमार परेशान हैं। सात दिन में उनका सेब पानी छोडऩे लगा है। इन्हें कोई उपाय नहीं दिख रहा है। आगरा के रामतेज ट्रक मे आलू और राम सकल प्याज लेकर सात दिनों से पड़े हैं। चेन्नई, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों के कारोबारी, ट्रक चालक और कर्मचारी भूख-प्यास से छटपटा रहे हैं पर उनका कोई पुरसाहाल नहीं है। नेपाल में पेट्रोल तीन सौ से चार सौ रपये लीटर बिक रहा है जबकि नेपाली मुद्रा में प्याज दो सौ रपये किलो बिक रही है।

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