नयाँ-सम्विधान तो मधेशियो को अघोषित रूप मे हत्या करने की सारी तैयारी ही कर चुकी है
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कैलाश महतो,परासी , ६ नोभेम्बर |
शान्तिपूर्ण रूप से मधेश मे आन्दोलन कर रहे मधेशियो के अधिकार्पूर्ण आन्दोलन को नेपाली शासको के तिरस्कार के बाद मधेशी दलो के घोषणा के साथ आम मधेशियो ने मधेश्- भारत बोर्डर को जाम कर सीमा नाकाबन्दी करीब ४५ दिनो से लगातार कर रखा है । एक तरफ मधेशी जनता उन्हे सम्वैधानिक न्यायपूर्ण अधिकार की ग्यारण्टी नही होने तक मधेस-भारत सीमा नाका नही खुलने देने के अडान पर है, वही नेपाल सरकार और उसके सन्चार क्षेत्रो का प्रचार है कि मौजुदा नाकाबन्दी मधेश या मधेशियो का नही, अपितु यह भारत का अघोषित नाकाबन्दी है । भारत ने योजनाबद्ध रूप मे नेपाल के विरूद्ध गैरकानुनी नाकाबन्दी जारी किया है ।
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स्वतन्त्र रूप से ही मधेश की समस्या के कारण सारे देशवासियो को दुख झेलते हुए देख मधेश की समस्याओ को सम्बोधन कर देश को निकास देने के लिए विचार देने बाले  निवर्तमान राष्ट्रपती और उप-राष्ट्रपती को सम्विधान के अन्दर रहकर अपने गरिमा को वचाने का हिदायत नेपाली शासको द्वारा दी जाती थी | वही पर जुम्मा जुम्मा आठ दिन भी अपने पद पर काम नही कर सकी वर्तमान राष्ट्रपति विद्या भण्डारी ने अपने पदीय मर्यादा को भूलकर आन्दोलनरत मधेश आन्दोलन का खिल्ली उडाते हुए “मधेश आन्दोलन को माग नै प्रष्ट छैन ।” बाला अभिव्यक्ती देकर मधेशियो को तिरस्कार किया गया है । ताज्जुब की बात है कि सम्विधान का समिक्षक, सम्वैधानिक व्यतित्व तथा सारे जनता की अभिभावक राष्ट्रपति भण्डारी मधेशी जनता के विरूद्ध उनकी कुंठित मानसिकता जाहेर करती है और सरकार या किसी पार्टी के तरफ से कोई विरोध नही होता है ।
सारे सन्सार को मालूम है कि मधेश का आन्दोलन जायज है और उसे जल्द से जल्द सम्बोधन कर आन्दोलन को रोकने का अनुरोध अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विश्व के सरकार तथा विभिन्न मानव अधिकार सङ्घ सन्स्थाओ ने भी किया है । पर नेपाली सरकार तथा उसके अहन्कारी मतियार टस से मस होने का नाम नही ले रही है । उल्टे मधेश आन्दोलन को भारतिय आन्दोलन का नाम देकर भारत को बदनाम कर्ने  की कोशीश हो रही है । भारत को अनेक धम्की और त्रास दिखाने की भी कोशीश की जा रही है । अपने सगे सम्वन्धियो से मिलने आए भारतिय नागरिको पर भी गोली चलाकर हत्या कर अपने अपराध को ढकने तथा मधेश आम्दोलन को बदनम करने हेतु आन्दोलन मे भारतिय लोगो की सहभागिता होने का कुत्सित हल्ला फैलाने की भी कोशीश नेपालियोद्वारा हो रही है ।
तेल, ग्यास और अत्यावश्यक वस्तुओ के अभाव से परेशान नेपाल और नेपाली लोग दिन रात तेल्, ग्यास और आलु प्याज की बात नेपाली मिडिया मे सुनने को मिलरहा है । अपना गुस्सा शान्त करने के लिए चीन, इरान,  इराक आदी से तेल के लिए सम्झौता करने की धम्की देता है । सारा काम धन्धा छोडकर भारत के विरोध मे उर्जा खर्च करने मे व्य्स्त है । दिन रात तेल के लिए रोते रहता है,  गाडियो की लम्बे  लाईन पेट्रोल पम्पो पर दिखात है, खाली ग्ज्ञास सिलिन्डरो को लेकर भटकते हुए लोगो को दिखाया जा रहा है । उसका एक ही उद्देश्य है भारत को बदनाम करे और बाहर के प्रेसर मे पेट्रोलियम पद्दार्थ भारत से लेने की रणनीती बनाने की चाल है ।
उधर के-पी ओली और प्रचण्ड का भी कह्ना यही है कि भारत से इस विषय पर बात कर तेल आपूर्ती को सहज किया जाय । इस से यही प्रष्ट होता है कि नेपाल के प्रधान-मन्त्री और परिवर्तनकारी पार्टी के अध्यक्ष भी मधेश तथा मधेशियो के आन्दोलन को कुछ नही समझते है । और मधेशी नेता लोग थेथर और निर्लज्ज होकर उन्ही से बात करने के ख्वाबो मे मस्त है और मधेशी जनता को दिग्भ्रमित कर रहे है । सङ्घियता नामक अकल्पनिय बेतुक के बातो को मुद्दा बनाकर मधेश आन्दोलन को चुनाबी मैदान बना रखे है । सम्विधान को स्विकार कर उसको फिर से नही मानने की बात करते है ।
bir4नेपालियो के अनुसार अगर भारत नेपाल पर अघोषित नाकाबन्दी की है तो नेपालीयो ने मधेशियो के उपर भी अघोषित नाकाबन्दी की है २४७ वर्षो से । सम्विधान मे समानता के अधिकार लिखकर, सिमान्कन की सम्वैधानीक बून्दा बनाकर भी मधेशोयो से बार बार गद्दारी और धोखेबाजी की गयी है । और अभी के सम्विधान तो मधेशियो को अघोषित रूप मे हत्या करने की सारी तैयारी ही कर चुकी है ।-हिमालिनी 

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